
समिति के कर्मचारियों हड़ताल पर जाने से चरमराई व्यवस्था…..
देवभोग:- छग में राज्य सरकार के आदेशानुसार 15 नवम्बर से समर्थन मूल्य में धान खरीदी शुरू हो चूका हैं,किसानों की टोकन काटने की सहूलियत के लिए राज्य सरकार द्वारा ऐप जारी किया गया,जिले के देवभोग मैनपुर विकासखंड में 32 धान उपार्जन केंद्र हैं जिसमें समर्थन मूल्य में धान खरीदी के पहले दिन केवल 4 उपार्जन केंद्रों में टोकन तो काटे गए किंतु किसान धान बेचने मंडी तक नहीं पहुंचे, देवभोग विकासखंड के देवभोग उपार्जन केंद्र में 1 एक किसान ने टोकन काटा किंतु धान बेचने मंडी नहीं पहुंचा वहीं मैनपुर विकासखंड के धौराकोट,गोहरापदर, चिचिया उपार्जन केंद्रों में एक-एक किसानों ने टोकन काटा किंतु धान बेचने मंडी नहीं पहुंचे, पहले दिन क्षेत्र के उपार्जन केंद्रों में सन्नाटा पसरा हुआ था, जिसकी वजह बेमौसम हुए बारिश एवं तुहर टोकन ऐप से किसानों को रही समस्या को मना जा रहा हैं!
तुहर टोकन ऐप से किसानों को टोकन काटने से हो रही हैं परेशानी….
जिले में 83 हजार 445 किसानों ने समर्थन मूल्य में धान बेचने के लिए पंजीकृत हैं,जबकि गत वर्ष में 90 हजार 771 किसान पंजीकृत थे, ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए टोकन तुहर ऐप किसानों के लिए सर दर्द बना हुआ हैं, जिससे टोकन काटने में कई प्रकार की समस्या आ रही हैं, टोकन तुहर ऐप ढंग से काम नहीं कर रहा हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन काफ़ी जटिल प्रक्रिया हैं, तुहर टोकन ऐप जो समय निर्धारित किया गया हैं उसमें कई खामिया नजर आ रही हैं, किसानों ने टोकन के लिए ऑनलाइन कंप्यूटर या मोबाइल में जब ऐप खोलने पर खुलता नहीं हैं सर्वर डाउन बता रहा हैं,मान लो ले देकर ऐप खुलता भी हैं तो ठीक से कार्य नहीं करता हैं एवं समय पर मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन करने पर ओटीपी समय पर नहीं आता ,लेट ओटीपी आने से सबमिट करने पर ऐप ऑटोमैटिक बंद हो जाता हैं ! घंटो मशकत के बावजूद किसान का टोकन न कट पाना चिंताजनक विषय हैं,किसानों के लिए सर दर्द बना धान खरीदी प्रक्रिया या पंजीयन प्रक्रिया और टोकन को लेकर हो रहें समस्याएं वैकल्पिक व्यवस्था के बावजूद किसान परेशान हैं!जिसको शीघ्र दूर करना अति आवश्यक हैं अन्यथा किसान प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं !
समिति प्रबंधकों और ऑपरेटरों की हड़ताल से चरमराई व्यवस्था…
धान खरीदी से पहले जिले भर के समिति प्रबंधकों और कम्प्यूटर ओपरेटरों अपने विभिन्न मांगो को लेकर हड़ताल पर हैं, जिसके बाद खरीदी केंद्रों में प्रबंधक और कम्प्यूटर ऑपरेटर की वैकल्पिक व्यवस्था की गई किंतु टोकन और पंजीयन में दिक्कतें कम्प्यूटर ऑपरेटर की हड़ताल की वजह से पंजीयन और अन्य कार्य प्रभावित हैं, धान बेचने के लिए किसानों को पहले एग्री स्टॉक पोर्टल पर पंजीयन करना होता हैं, फिर टोकन तुहर ऐप के माध्यम से टोकन काटना होता हैं लेकिन इस वक़्त दोनों सिस्टम ठप्प हैं, टोकन ऐप और एग्री स्टॉक में पंजीयन एवं सर्वर डाउन जैसे जटिल प्रक्रिया से किसानों जूझना पड़ रहा जिस वजह से किसानों समय में टोकन काटने में वंचित हैं! सहकारी समिति के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण खरीदी केंद्रों की तैयारी पूरी तरह से ठप पड़ गई है! आने वाले दिनों में यह खामियां दूर हो जाएंगी और तय किए गए मापदंड के अनुसार व्यवस्था होगी इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है।जिले के दोनों ब्लाकों में बनाए धान खरीदी केंद्रों में न तो उम्मीद के मुताबिक बारदाने पहुंचे हैं और न ही धान की भूसियों में बोरी में भरने के लिए कोई कवायद ही शुरू हो पाई है। हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि 15 नवंबर से शुरू होने वाल धान की खरीदी को लेकर कुछ केंद्रों में ही बारदाने और अन्य समान पहुंचा है। कई केंद्रों में तो अब तक धान खरीदी के कोई इंतजाम नहीं है। समितियों के प्रबंधक, ऑपरेटर और फड़ प्रभारी चार सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। केंद्रों पर ताले लटक रहे हैं। फड़ की सफाई नहीं हुई है। किसान रकबा में संशोधन और सुधार के लिए भटक रहे हैं। प्रशासन ने तैयारी के लिए प्राधिकृत अधिकारियों और नोडल अधिकारियों को जिम्मा सौंपा है। समितियों के खरीदी स्थल की सफाई, पानी, बिजली की सुविधा और सुरक्षा के लिए घेराबंदी कराई जाती है। केंद्र में बारदाने की व्यवस्था रखी जाती है। तौल के लिए इलेक्ट्रॉनिक कांटा का सत्यापन भी कराना होता है, लेकिन इन कर्मचारियों के हड़ताल से तैयारी अधूरी है। इस साल धान खरीदी में एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य है। इसके अलावा कई किसानों का रकबा कम हो गया है। इसमें संशोधन और सुधार के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
